राजस्थान में पंचायत के एक तुगलकी फरमान को दरकिनार करते हुए चार बेटियों ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उनके शव को कंधा दिया और बाद में उन्हें मुखाग्नि भी दी। हालांकि पिता के अंतिम संस्कार के बाद पंचायत ने इस रैगर परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का फैसला सुना दिया। मिली जानकारी के मुताबिक लंबी बीमारी से जूझ रहे बारली बूंदी रैगर कॉलोनी निवासी दुर्गाशंकर की शनिवार रात मृत्य हो गई। दुर्गाशंकर को कोई पुत्र नहीं था और उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी बेटियां ही उन्हें कंधा और मुखाग्नि दें। पर, बेटियों द्वारा अंतिम संस्कार की रस्में निभाना समाज की पंचायत को नागवार गुजर गया। पंचायत ने बेटियों को पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा न लेने की चेतावनी दी। उधर, बेटियों ने पंचों की चेतावनी को दरकिनार कर अर्थी को कांधा दिया और श्मशान घाट पहुंचकर चिता को मुखाग्नि भी दी। बड़ी बेटी मीना ने बताया, पंचायत में हमें पिता के अंतिम संस्कार की रस्मों में शामिल न होने के लिए कहा गया जिसे हमने मानने से इनकार कर दिया। पिता के दाह संस्कार के बाद उन्होंने हमसे और हमारी मां से माफी मांगने के लिए कहा। चूंकि हमने कोई गलती नहीं ...
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