सित॰ 9, 2025, के द्वारा प्रकाशित किया गया: अभिराज सिन्धानिया

GST 2.0 दर घटने से कारें सस्ती: 22 सितंबर से 45,000 से 10 लाख तक की कटौती, Maruti‑Hyundai‑Tata‑Mahindra पर सीधा असर

22 सितंबर से शोरूम में सीधी राहत: कितनी सस्ती हुई कौन-सी कार

त्योहारों की शुरुआत के साथ ऑटो बाजार को बड़ा बूस्ट मिला है। सरकार ने कारों पर कर ढांचे को आसान करते हुए दो-स्लैब वाला नया ढांचा लागू किया है। 22 सितंबर 2025 से GST 2.0 के तहत छोटी कारों और सब‑4 मीटर SUVs पर GST 28% से घटकर 18% हो गया है। बड़ी गाड़ियों पर अब 40% GST लगेगा, लेकिन पुराना सेस पूरी तरह हट चुका है, इसलिए कुल कर भार कम हो रहा है। इसका सीधा असर शोरूम की कीमतों पर दिख रहा है—कई मॉडलों में 45,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक की बचत बनती है, वैरिएंट और शहर के हिसाब से फर्क रहेगा।

यह बदलाव 3 सितंबर को घोषित रेशनलाइजेशन पैकेज का हिस्सा है, जो प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस भाषण के बाद आया। मकसद साफ है—टैक्स जंजाल खत्म करना, गाड़ियों की कीमतों को स्थिर बनाना और उत्सर्जन-आधारित सेस की उलझन हटाकर खरीदारों व कंपनियों के लिए नियम सरल करना।

क्या बदला: नई कर-स्लैब, किसे कितना फायदा

क्या बदला: नई कर-स्लैब, किसे कितना फायदा

नए ढांचे में दो प्रमुख स्लैब हैं। पहली—छोटी कारें और सब‑4 मीटर SUVs जिनमें पेट्रोल इंजन 1200cc तक या डीजल 1500cc तक हो; इन पर 18% GST लगेगा। यही दर CNG और LPG वैरिएंट्स पर भी लागू है, बशर्ते इंजन क्षमता इसी दायरे में हो। दूसरी—जो गाड़ियां 4 मीटर से लंबी हैं या इंजन क्षमता ऊपर है, वे 40% GST स्लैब में आएंगी। पुराने सिस्टम में 28% GST के ऊपर अलग‑अलग सेस लगता था (कई SUVs पर 22% तक), अब वह सेस हटा दिया गया है, इसलिए कुल प्रभाव कर कटौती वाला है।

हाइब्रिड्स को खास राहत मिली है। पहले इन पर प्रभावी कर 43% तक पहुंच जाता था (28% GST + 15% सेस)। अब हाइब्रिड्स को आकार और इंजन के हिसाब से ही टैक्स लगेगा—छोटी हाइब्रिड्स 18% में और बड़ी हाइब्रिड्स 40% में। इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर 5% GST पुराने स्तर पर ही जारी रहेगा, इसलिए EVs सबसे टैक्स‑इफिशिएंट विकल्प बने रहेंगे। इसके अलावा तीन‑पहिया, 350cc तक की मोटरसाइकिलें और कई तरह के गुड्स कैरियर अब 18% स्लैब में हैं (पहले 28% था), तो एंट्री‑लेवल टू‑व्हीलर और लाइट कमर्शियल सेगमेंट में भी कीमतें नरम होंगी।

यह सिर्फ टैक्स दर की बात नहीं है, क्लासिफिकेशन भी आसान हुआ है। पहले “SUV” की परिभाषा लंबाई, इंजन, ग्राउंड क्लियरेंस जैसी शर्तों के कारण विवादित रहती थी, अब दो‑स्लैब नियम से कंपनियों और टैक्स अधिकारियों दोनों के लिए अनिश्चितता कम होगी। कीमत तय करने में पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को अलग‑अलग ट्रिम में कर अंतर समझना सरल होगा।

खरीदार के नजरिये से समझें तो यह कटौती “एक्स‑शोरूम” पर लागू होती है। राज्य का रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस एक्स‑शोरूम के आधार पर ही तय होता है, इसलिए शोरूम प्राइस घटने पर ऑन‑रोड भी कम होता है। बीमा प्रीमियम और फाइनेंस किए गए लोन अमाउंट में भी थोड़ी कमी आती है, जिससे EMI पर हर महीने कुछ सौ से कुछ हजार रुपये तक राहत दिख सकती है, खासकर मिड‑साइज SUV सेगमेंट में।

एक साधारण गणना देखें। मान लें 7 लाख रुपये बेस‑प्राइस की छोटी कार पर पहले 28% GST लगता था, तो कर 1.96 लाख के करीब पड़ता था; अब 18% पर यह करीब 1.26 लाख होगा—लगभग 70,000 रुपये की सीधी कमी। बड़ी गाड़ी के केस में, अगर बेस‑प्राइस 15 लाख हो और पहले प्रभावी टैक्स 50% तक बैठ रहा हो (28% GST + 22% सेस), तो 7.5 लाख टैक्स बनता था; अब 40% पर यही 6 लाख होगा—करीब 1.5 लाख की बचत। असल कटौती मॉडल, डिस्काउंट और डीलरशिप के चार्जेज के हिसाब से अलग‑अलग दिखेगी, पर दिशा वही है—कीमतें नीचे।

मॉडल‑वाइज शुरुआती संकेत कंपनियों ने साझा करने शुरू कर दिए हैं। ह्यूंडई ने वर्ना में करीब 60,640 रुपये तक और प्रीमियम SUV ट्यूसॉन में लगभग 2.4 लाख रुपये तक कटौती का इशारा दिया है। मारुति सुजुकी में अलग‑अलग मॉडलों पर 36,000 रुपये से 1.10 लाख रुपये से ज्यादा तक कमी बताई जा रही है। स्कोडा कुशाक में 74,000 से 1.27 लाख रुपये तक गिरावट के अनुमान हैं। टाटा पंच के टॉप ट्रिम का मुंबई में एक्स‑शोरूम 11.95 लाख से घटकर लगभग 10.75 लाख बताया जा रहा है—करीब 1.2 लाख की कमी; अलग शहरों और वैरिएंट्स में यह 5–10% के बीच भी दिख सकती है। ह्यूंडई क्रेटा में करीब 90,000 रुपये और महिंद्रा XUV700 में 2 लाख रुपये से ऊपर तक बचत के संकेत हैं।

हाइब्रिड्स में मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा स्ट्रॉन्ग‑हाइब्रिड के कुछ वैरिएंट्स में 64,000 से 84,000 रुपये तक कीमत नीचे आने की बात सामने आई है। टोयोटा अर्बन क्रूजर हैराइडर हाइब्रिड जैसे मॉडल भी छोटे‑सेगमेंट वाली दर का लाभ उठाएंगे। EV खरीदारों के लिए दर अपरिवर्तित है (5%), इसलिए कंपनियों के माध्यम से जो अतिरिक्त डिस्काउंट मिलते हैं, वही मुख्य खेल रहेंगे—टैक्स से नई कटौती यहां नहीं बनती।

यह टाइमिंग भी दिलचस्प है—22 सितंबर नवरात्रि का पहला दिन है। इधर ऑटो कंपनियां हर साल इसी विंडो में सेल्स पुश करती हैं। नई टैक्स दरों से एंट्री‑लेवल हैचबैक से लेकर मिड‑साइज SUVs तक में खरीद का मूड बनेगा। तेज बुकिंग का मतलब कुछ लोकप्रिय ट्रिम्स में वेटिंग फिर बढ़ सकती है, खासकर जहां पहले से सप्लाई टाइट है।

डीलर‑लेवल ट्रांजिशन पर एक नजर जरूरी है। असली लाभ इनवॉइस की तारीख से जुड़ा है—अगर आपकी डिलीवरी 22 सितंबर या इसके बाद बिल हो रही है, तो नई दरें लागू होंगी। पहले बिलिंग हो चुकी है तो लाभ सीमित हो सकता है। ऐसे में अपने डीलर से री‑प्राइसिंग, नई प्रो‑फार्मा इनवॉइस और संशोधित ऑन‑रोड ब्रेकअप लिखित में लें। अगर बुकिंग एडवांस पर थी और डिलीवरी डेट 22 सितंबर के बाद शिफ्ट हो सकती है, तो कीमत संरक्षण (Price Protection) पर साफ‑साफ ईमेल की मांग करें। फाइनेंस करवाया है तो बैंक से नया सैंक्शन लेटर लेकर EMI को री‑कैलकुलेट कराएं।

यही नहीं, एक्सचेंज वैल्यू, एक्सटेंडेड वारंटी, RSA और ऐक्सेसरी पैक्स पर लगने वाला टैक्स अलग हो सकता है—इनका ब्रेकअप अलग से जांचें। बीमा प्रीमियम कम बेस‑प्राइस पर थोड़ा घटता है, पर IDV नीति और ऐड‑ऑन कवर के कारण कमी सीमित होती है, इसलिए बीमा कोट्स तीन कंपनियों से तुलना करके ही फाइनल करें।

उद्योग के लिए इसका मतलब क्या है? सबसे पहले, प्राइसिंग का गणित सरल होगा। पहले एक ही मॉडल के अलग‑अलग वैरिएंट्स पर सेस के कारण प्रभावी टैक्स बदल जाता था; अब दो स्लैब में इसे समझना आसान होगा। दूसरा, कन्फॉर्मिटी और लिटिगेशन की आशंका घटेगी—SUV की परिभाषा को लेकर जो ग्राउंड‑क्लियरेंस वाली बहसें थीं, वे पीछे छूटेंगी। तीसरा, डिमांड‑साइड पर स्पार्क—एंट्री और मिड‑सेगमेंट में कीमतें नीचे आने से कन्वर्जन रेट बढ़ेगा, खासकर फर्स्ट‑टाइम बायर्स और अपग्रेड करने वालों में।

हाइब्रिड्स का केस अलग से दिलचस्प है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और शहरों में बढ़ते ट्रैफिक के बीच हाइब्रिड्स का रियल‑वर्ल्ड माइलेज ग्राहकों को लुभाता है, पर पहले ऊंचे टैक्स के कारण ये महंगी पड़ती थीं। नई दरों के बाद हाइब्रिड्स और टॉप‑एंड पेट्रोल‑ऑटोमैटिक वैरिएंट्स के बीच का प्राइस‑गैप कुछ मॉडलों में कम हो सकता है। इससे हाइब्रिड शॉपर्स का दायरा बढ़ने की संभावना है, खासकर जहां EV चार्जिंग को लेकर झिझक रहती है।

टू‑व्हीलर स्पेस में 350cc तक 18% GST आने से एंट्री और मिड‑सेगमेंट बाइक्स की ऑन‑रोड कीमत थोड़ी नरम होगी। इससे शहरी कम्यूटर सेगमेंट और सेमी‑प्रीमियम राइडर्स को राहत मिलेगी। तीन‑पहिया और लाइट कमर्शियल वाहनों पर दर घटने से स्मॉल बिजनेस की खरीद लागत भी कम होगी, जो लास्ट‑माइल डिलीवरी और लोकल लॉजिस्टिक्स के लिए फायदेमंद है।

कुछ सावधानियां भी हैं। कंपनियां ट्रिम‑मिक्स और फीचर‑अपडेट के जरिए नई कीमतों का संतुलन करती हैं—कहीं‑कहीं मिड‑साइकल अपडेट के साथ फीचर्स जोड़कर बेस‑प्राइस थोड़ा ऊपर भी रखा जा सकता है। इसके उलट, स्टॉक क्लियरेंस पर पुराने विनिर्माण बैच के लिए अतिरिक्त डिस्काउंट दिख सकते हैं। इसलिए अगर आपको तुरंत डिलीवरी चाहिए तो स्टॉक‑इकाई (VIN वर्ष और माह) देखकर ही फैसला लें।

मॉडल‑वाइज अनुमान—जो अभी तक सामने आए हैं—इस तरह समझें (शहर और वैरिएंट के हिसाब से बदल सकते हैं):

  • Maruti Suzuki: अलग‑अलग मॉडलों पर लगभग ₹36,000 से ₹1.10 लाख+ तक की कमी; एंट्री हैचबैक से लेकर कॉम्पैक्ट SUV तक असर।
  • Hyundai: Verna में करीब ₹60,640 तक, Tucson में लगभग ₹2.4 लाख तक; Creta पर करीब ₹90,000 की गिरावट का संकेत।
  • Tata: Punch के टॉप ट्रिम में कुछ शहरों में करीब ₹1.2 लाख तक; Nexon के चुनिंदा वैरिएंट्स में भी कमी दिखने की संभावना।
  • Mahindra: XUV700 में ₹2 लाख से ज्यादा; Scorpio‑N के कुछ ट्रिम्स में भी उल्लेखनीय गिरावट की उम्मीद।
  • Skoda: Kushaq में ₹74,000 से ₹1.27 लाख; Slavia के चुनिंदा वैरिएंट्स में भी रिवाइज्ड प्राइसिंग।
  • Hybrids: Maruti Grand Vitara Strong‑Hybrid में ₹64,000–₹84,000; Toyota Hyryder Hybrid में सेगमेंट‑आधारित दर का फायदा।
  • EVs: 5% GST पहले जैसा; प्राइसिंग में बदलाव कंपनी‑डिस्काउंट और इनपुट लागत पर निर्भर।

खरीद की प्लानिंग कर रहे हैं? ये काम तुरंत करें:

  • 22 सितंबर या उसके बाद डिलीवरी है तो डीलर से नई प्रो‑फार्मा इनवॉइस और एक्स‑शोरूम/ऑन‑रोड ब्रेकअप लिखित में लें।
  • पुराना बुकिंग ऑर्डर है तो “प्राइस प्रोटेक्शन” की लिखित पुष्टि मांगें; न हो तो रिवाइज्ड कोटेशन पर बातचीत करें।
  • लोन स्वीकृत है तो EMI का नया कैलकुलेशन और संशोधित इनवॉइस बैंक को भेजें; स्टाम्पिंग/री‑एग्रीमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
  • इंश्योरेंस कोट्स तीन कंपनियों से तुलना करें; कम IDV और ऐड‑ऑन के असर को समझकर ही फाइनल करें।
  • एक्सचेंज कार की नई वैल्यू और आरटीओ/हैंडलिंग चार्जेज के अपडेटेड ब्रेकअप को क्रॉस‑चेक करें।

बड़ी तस्वीर यही है—टैक्स स्ट्रक्चर सरल हुआ है, कीमतें नीचे आई हैं और त्योहारों से ठीक पहले मांग को नैसर्गिक सहारा मिला है। अगली कुछ हफ्तों में कंपनियां वैरिएंट‑वाइज रिवाइज्ड लिस्ट जारी करेंगी। जहां आप बुकिंग कर रहे हैं, वहां का डीलर‑कोटेशन ही अंतिम मानें और सभी बदलाव लिखित में लें—यहीं से आपकी असली बचत तय होगी।

लेखक

अभिराज सिन्धानिया

अभिराज सिन्धानिया

मेरा नाम अभिराज सिन्धानिया है। मैं मीडिया और समाचार विषय पर विशेषज्ञता रखता हूं। सोशल मीडिया और मीडिया के बारे में लेखन करना मेरी प्राथमिकता है। मैं समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने और लोगों के विचार और मतलब समझने में विशेष रुचि रखता हूं। मेरी लेखन शैली में मैं विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और स्पष्टता का उचित मिश्रण बनाने की कोशिश करता हूं।

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