छठ पूजा – शुद्ध सूर्य उपासना की परम्परा

जब छठ पूजा, एक प्राचीन हिन्दू व्रत है जो उत्तर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में विशेष रूप से मनाया जाता है. इसे छठ्पूजा भी कहा जाता है, यह सूर्य और चंद्र देवताओं को अर्घ्य अर्पित करने की मुख्य विधि है। छठ पूजा में व्रत, स्नान, संध्या और सुबह के अर्घ्य सम्मिलित होते हैं और यह कुल चार दिन तक चलता है।

इस अनुष्ठान में सूर्य देवता, सूर्य को प्रसन्न करने के लिये अन्न, दही, छाछ और केले का अर्घ्य चढ़ाया जाता है मुख्य भूमिका निभाते हैं। व्रत, छठवासी लोग सात दिनों तक कठोर शुद्धता और निर्जलता के साथ रहकर अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं इस पूजा का मूल आधार है। व्रत का मकसद शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करना तथा सूर्य से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति है। साथ ही अर्घ्य, सूर्य की दया पाने के लिये जल, चावल, दही, घी और फल का मिश्रण अर्पित किया जाता है पूजा का सबसे प्रमुख अनुष्ठान है।

छठ पूजा के प्रमुख चरण और उनका महत्व

छठ पूजा कुल चार चरणों में विभाजित है – निरहन, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। निरहन में व्रती शुद्ध जल से स्नान करके सफ़ेद कपड़े पहनते हैं, जिससे शरीर के मनोवैज्ञानिक दोष दूर होते हैं। खरना में उबले हुए आलू, नारियल, चना आदि की सामग्री परिपूर्ण होती है; यह अनुष्ठान कष्टों को दूर करने और ऊर्जा को साकार करने के लिए किया जाता है। संध्या अर्घ्य में सूर्यास्त के समय गंगा या गोरखा नदी के किनारे अर्घ्य चढ़ाया जाता है, जबकि उषा अर्घ्य में सूर्योदय पर अर्घ्य किया जाता है, जो जीवन के नए आरम्भ का प्रतीक है। ये सभी चरण छठ पूजा encompasses सूर्य अर्घ्य and व्रत और छठ पूजा requires शारीरिक शुद्धता को स्पष्ट करते हैं।

इन चरणों के बीच के गीत और भजन भी पूजा को भावनात्मक रूप से गहरा बनाते हैं। स्थानीय कलाकार ‘कोरवा’ और ‘ढोलक’ के साथ विशेष स्वर में गाए जाने वाले भजन सूर्य के प्रति श्रद्धा को और अधिक प्रकट करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का विशेष योगदान रहता है; वे ‘सिंघा’ बनाकर अर्घ्य के लिए तैयार करती हैं, जिससे सामुदायिक भावना मजबूत होती है। इस तरह सामुदायिक सहभागिता influences छठ पूजा और इस त्यौहार को सामाजिक एकता का प्रतीक बनाता है।

आजकल तकनीकी सुविधाओं ने भी छठ पूजा को नई दिशा दी है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल ऐप्स के माध्यम से अर्घ्य समय की सूचना, जल निकास की जानकारी और स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियां उपलब्ध होती हैं। इससे व्रती सही समय पर अर्घ्य कर पाते हैं और स्वास्थ्य जोखिमों से बचते हैं। यह उल्लेखनीय है कि छठ पूजा benefits from modern communication tools और इससे इस परम्परा का विस्तार जारी है।

छठ पूजा की महत्ता केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय भी है। अर्घ्य में उपयोग होने वाले जल और प्राकृत सामग्री पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। कई संगठनों ने इसे "हरित पूजा" के रूप में प्रचारित किया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ आध्यात्मिक उन्नति का संतुलन बनता है। इस पहल ने स्थानीय समुदायों में स्वच्छता और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है।

आप अब इस पेज के नीचे लेखों की सूची देखेंगे, जहाँ छठ पूजन के विस्तृत इतिहास, विशिष्ट रिवाज़, स्वास्थ्य संबंधी टिप्स और हाल ही में हुई घटनाओं की खबरें मिलेंगी। चाहे आप पहली बार छठ पूजा कर रहे हों या अनुभवी व्रती हों, यहाँ आपको प्रैक्टिकल जानकारी और ताज़ा अपडेट दोनों मिलेंगे, ताकि आप इस पवित्र पर्व को पूरी श्रद्धा और समझ के साथ मना सकें।

पद्म भूषण शारदा सिन्हा गंभीर, AIIMS दिल्ली में वेंटिलेटर पर

अक्तू॰ 7, 2025, के द्वारा प्रकाशित किया गया अभिराज सिन्धानिया

पद्म भूषण शारदा सिन्हा को AIIMS दिल्ली में मल्टीपल मायेलोमा के कारण वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्थिति पर करीबी नजर रखी, जनता ने प्रार्थनाओं का अभूतपूर्व जलसा गढ़ा।

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