अक्तू॰ 7, 2025, के द्वारा प्रकाशित किया गया: अभिराज सिन्धानिया

जब शारदा सिन्हा, पद्म भूषण प्राप्त प्रख्यात लोक गायिका, 1951 में जन्मी को दिल्ली के दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) में इंटेंसिव केयर यूनिट में वेंटिलेटर पर ले जाया गया, तो देशभर में धड़कन तेज हो गई। 72‑वर्षीय कलाकार को मल्टीपल मायेलोमा की जटिलताओं से जूझते हुए डॉक्टरों ने जीवन रक्षक सहायता शुरू कर दी। इस खबर ने छठ पूजा के जश्न के बीच गहरी चिंता उत्पन्न कर दी, क्योंकि शारदा का नाम ही इस त्यौहार की धुनों से जुड़ा है।
शारदा सिन्हा का संगीत सफर और छठ पूजा का महत्व
शारदा सिन्हा को अक्सर "बिहर कोकिला" कहा जाता है; उनका आवाज़ भोजपुरी, मैथिली और मगही में गूँजता है। "छठी मैया आयी ना दुआरिया" से शुरू होकर "कार्तिक माह ऐजोरिया" तक, उनके गान छठ पूजा की अर्घ्य‑आरती में अनिवार्य हो गए हैं। इस प्रकार, उनका संगीत न सिर्फ मनोरंजन बल्कि धार्मिक अभिव्यक्ति का जरिया बन चुका है।
छठ पूजा, जो सूर्य देव की आराधना के लिए साप्ताहिक दो दिनों में मनाई जाती है, ने पिछले कुछ वर्षों में शारदा के गानों को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जब शारदा की तबीयत बिगड़ी, तो मिलियन‑भरी भीड़ ने तुरंत ऑनलाइन प्रार्थना शुरू कर दी।
स्वास्थ्य संकट: समय‑सीमा और अस्पताल की कार्रवाइयाँ
शारदा को मल्टीपल मायेलोमा का पता 2017 में चला था; तब से उन्हें कई चक्रों की कीमोथेरेपी मिली। अक्टूबर 2024 में स्थिति बिगड़ने पर उन्हें इंस्टिट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (IRCH), AIIMS की कैंसर शाखा में भर्ती कराया गया। प्रारम्भिक रिपोर्ट के अनुसार, रोगी की रक्त‑दाब और हृदय गति सामान्य थी, यानी वह "हीमोडायनामिकली स्थिर" थी, पर वेंटिलेटर से बिना ऑक्सीजन के सांस लेना सम्भव नहीं था।
साथ ही, शारदा के पुत्र अंशुमान सिंह ने यूट्यूब चैनल पर अपडेट दिया कि "माँ वेंटिलेटर पर है, लेकिन वह ज़िंदा लड़ रही है"। उनका भाव "प्रार्थना करो, छठी मैया उसके साथ हों" था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मामले की करीबी निगरानी का वादा किया। AIIMS की आधिकारिक पोस्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों के साथ कई बार फ़ोन पर चर्चा की और शारदा के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना की।
जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया की धूम
शारदा की तबीयत के बारे में खबऱें आते ही गूगल पर "शारदा सिन्हा" की खोज 1,000 % से अधिक बढ़ गई; 12 घंटे में 20,000 से अधिक क्वेरी दर्ज हुईं। ट्विट्टर (X) पर राष्ट्रीय कलाकारों के लिए #PrayForSharda हैशटैग ट्रेंड में आया।
साथ ही झूठी खबरें भी फड़कीं—कई अकाउंट्स ने दावे किए कि शारदा का निधन हो गया है। अंशुमान ने तुरंत इन अफवाहों को खारिज किया, यह कहते हुए कि "माँ अभी भी जीवन‑रक्षक उपकरण पर है, और हम सभी से प्रार्थना चाहते हैं कि वह निकले"।
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय
डॉ. रवीना सिंह, AIIMS में हेमेटोलॉजी की हेड, ने बताया कि मल्टीपल मायेलोमा एक "बी‑सेल दुष्टता" है, जिसमें एक असामान्य प्लाज़्मा सेल मेरु में बहुत तेज़ी से बढ़ता है। वह कहती हैं, "हालांकि शारदा के केस में रोग काफी उन्नत स्तर पर है, लेकिन नवीनतम इम्यूनोथेरेपी और प्रोटीन‑टार्गेटेड ड्रग्स से सुधार की संभावना नहीं ख़त्म हुई है।"
साथ ही डॉक्टरों ने कहा कि वेंटिलेटर से धीरे‑धीरे हम पलकें झपकाना, रक्त‑ऑक्सीजन स्तर को नियंत्रित करना और संक्रमण को रोकना प्राथमिक लक्ष्य है।
भविष्य के रास्ते और सांस्कृतिक प्रभाव
यदि शारदा इस दौर में निकल आती हैं, तो उनकी वापसी को "छठ पूजा 2025 की सबसे बड़ी आवाज़" कहा जाएगा। इस बीच, कई संगीतकार और फिल्म निर्माताओं ने उनके इलाज के लिए फंडरेज़र चलाने का प्रस्ताव रखा है।
उनकी स्वास्थ्य स्थिति ने कई रोगियों को भी मल्टीपल मायेलोमा के बारे में जागरूक किया है। डॉक्टरों ने कहा कि इस बीमारी की शुरुआती पहचान और नियमित जांच से बेहतर उपचार संभव है।
पार्श्वभूमि: मल्टीपल मायेलोमा और भारतीय स्वास्थ्य परिदृश्य
मल्टीपल मायेलोमा एक दुर्लभ लेकिन प्रभावी रक्त‑कैंसर है, जिसमें प्लाज़्मा‑कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ती हैं। भारत में हर साल लगभग 25,000 नई केस रिकॉर्ड होती हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कई रोगी देर से पहचानते हैं।
ऐसे में शारदा जैसी मशहूर हस्तियों का सार्वजनिक मंच पर इस बीमारी की बात करना, रोगियों को समय पर डॉक्टर से मिलने के लिए प्रेरित कर सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शारदा सिन्हा की बिगड़ती तबीयत का उनके प्रशंसकों पर क्या असर पड़ रहा है?
प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर प्रार्थना की भीड़ बना दी है; कई ने "शारदा के लिए प्रार्थना" वाले पोस्ट शेयर किए हैं। संगीत मंचों पर भी उनका गाना लगातार बजाया जा रहा है, जिससे लोगों को आशा और समर्थन मिलता दिख रहा है।
मल्टीपल मायेलोमा क्या है और इसका इलाज कैसे किया जाता है?
यह एक बी‑सेल दुष्टता है, जिसमें असामान्य प्लाज़्मा‑कोशिकाएँ हड्डी‑मज्जा में बढ़ती हैं। वर्तमान में कीमोथेरेपी, स्टेम‑सेल ट्रांसप्लांट और नवीन इम्यूनोथेरेपी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। शुरुआती निदान से उपचार की सफलता दर बढ़ती है।
AIIMS दिल्ली शारदा सिन्हा के इलाज में कौन‑कौन सी कदम उठा रहा है?
AIIMS ने वेंटिलेटर पर निरंतर ऑक्सीजन सपोर्ट, रक्त‑संतुलन मॉनिटरिंग और संक्रमण‑रोधी एंटीबायोटिक रखरखाव जारी रखा है। साथ ही, रोग‑विशिष्ट बायोलॉजिकल उपचार और संभावित क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी चर्चा चल रही है।
छठ पूजा में शारदा सिन्हा के गानों का क्या महत्व है?
छठ पूजा सूर्य‑उपासना के दौरान गाए जाने वाले गीतों में शारदा के स्वर ने आध्यात्मिक अनुभव को गहरा कर दिया। उनका "छठी मैया" गीत विशेष रूप से अर्घ्य‑आरती में अनिवार्य है, जिससे धर्म‑संस्कृति में उनका योगदान अटल है।
जनजागृति के लिए कौन‑से कदम उठाए जा सकते हैं?
सार्वजनिक रूप से रक्त‑कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी प्रसारित करना, मुफ्त स्क्रीनिंग कैंप आयोजित करना और फ़ंडरेज़र के माध्यम से रोगियों को आर्थिक मदद देना प्रभावी रहेगा। शारदा जैसे संगीत आइकन द्वारा इस मुद्दे को उठाना भी जागरूकता बढ़ाता है।
लेखक
अभिराज सिन्धानिया
मेरा नाम अभिराज सिन्धानिया है। मैं मीडिया और समाचार विषय पर विशेषज्ञता रखता हूं। सोशल मीडिया और मीडिया के बारे में लेखन करना मेरी प्राथमिकता है। मैं समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने और लोगों के विचार और मतलब समझने में विशेष रुचि रखता हूं। मेरी लेखन शैली में मैं विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और स्पष्टता का उचित मिश्रण बनाने की कोशिश करता हूं।