अक्तू॰ 28, 2025, के द्वारा प्रकाशित किया गया: अभिराज सिन्धानिया

साइक्लोन मोंथा की धमकी: आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 70,000 से अधिक लोगों का बचाव, स्कूल बंद

साइक्लोन मोंथा अभी बंगाल की खाड़ी के ऊपर तूफानी गति से घूम रहा है, और इसकी धमकी से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों में अफसोसना तूफान लहर उठ रही है। साइक्लोन मोंथा मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को काकिनाडा के पास तट पर टकराने की उम्मीद है, जहां लगातार 88 से 109 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान है। भारतीय मौसम विभाग ने शनिवार को जारी अपने बुलेटिन में इसे गंभीर चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा है। इसके आगमन के साथ ही आंध्र प्रदेश के 19 जिलों में लाल चेतावनी जारी कर दी गई है—ये भारत के मौसम चेतावनी प्रणाली का सबसे उच्च स्तर है। स्कूल बंद, बिजली काटना, रेलगाड़ियां रद्द—सब कुछ तैयारी का हिस्सा है। लेकिन असली कहानी वो है, जो इन 70,000 लोगों के बारे में है।

70,000 लोगों का बचाव: कैसे और कहां?

आंध्र प्रदेश के नारा लोकेश रेड्डी, संचार मंत्री, ने शनिवार को अमरावती में बताया कि राज्य ने 38,000 लोगों को बारह सौ तिरासी गांवों से बाहर निकाल दिया है। ये गांव समुद्र तल से 5 मीटर से कम ऊंचाई पर हैं—जहां तूफान के बाद आने वाली लहरें बस एक बार में सब कुछ बहा ले सकती हैं। इन लोगों को 1,906 आपातकालीन शिविरों और 364 स्कूलों में ठहराया गया है। एक शिविर में औसतन 37.5 लोग रहते हैं। ओडिशा ने अपने तटीय इलाकों से 32,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया है। कुल मिलाकर, ये 70,000 लोग दो राज्यों की कुल आबादी का लगभग 0.07% हैं। लेकिन जो लोग अभी भी अपने घरों में हैं—लगभग 40 लाख—उनके लिए तूफान अभी भी एक बड़ा खतरा है।

भारतीय मौसम विभाग का चेतावनी निशान

भारतीय मौसम विभाग के निदेशक मृतंजय मोहपात्रा और उनकी टीम ने अपने बुलेटिन नंबर 12/2025 में स्पष्ट किया कि साइक्लोन मोंथा 25 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी के केंद्र में एक गहरी अवसाद के रूप में बना था। अब ये 50 मील/घंटा (80 किमी/घंटा) की गति से चल रहा है और लैंडफॉल से पहले 55-68 मील/घंटा तक पहुंच जाएगा। इसका रास्ता उत्तर-पश्चिम की ओर है। आंध्र प्रदेश के इस्ट गोदावरी, वेस्ट गोदावरी, कृष्णा, गुंटूर और प्रकाशम जिलों में 24 घंटे में 205 से 405 मिमी बारिश होने की उम्मीद है। ये इतनी भारी बारिश है कि एक दिन में एक शहर का सारा ड्रेनेज सिस्टम भर जाएगा। और ये सिर्फ आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है। तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक में अगले 48 घंटों में मध्यम से भारी बारिश होगी।

बचाव की जटिलताएं: रेल, नौकाएं और बिजली

जब तूफान आता है, तो सिर्फ लोगों को बचाना ही नहीं, बल्कि सभी लाइफलाइन्स को बचाना भी जरूरी होता है। भारतीय रेलवे ने 27 से 29 अक्टूबर तक 47 ट्रेनें रद्द कर दीं। भारतीय तटरक्षक बल ने 26 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने वाली नौकाओं को प्रतिबंधित कर दिया—इससे 50,000 मछुआरे प्रभावित हुए। आंध्र प्रदेश ईस्टर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने काकिनाडा और आसपास के इलाकों में 27 अक्टूबर को शाम 6 बजे से बिजली काट दी। ये फैसला बिजली के तारों के टूटने और बिजली के झटके से बचने के लिए लिया गया। ये सब बातें एक बार में लागू करना एक विशाल ऑपरेशन है।

आपदा प्रतिक्रिया: नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स और टीमें

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ने 26 अक्टूबर को 25 टीमें—प्रत्येक 45 सदस्यों की—आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भेज दीं। ये टीमें बाढ़ के बीच लोगों को बचाने, घायलों को उठाने और आपातकालीन आवासों में खाना वितरित करने के लिए तैयार हैं। आंध्र प्रदेश के स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स का मुख्यालय विजयवाड़ा में है, जो इन बचाव अभियानों को समन्वित कर रहा है। स्वास्थ्य विभागों ने 150 चिकित्सा टीमें और 50 मोबाइल चिकित्सा इकाइयां शिविरों में तैनात की हैं। ये टीमें दस्तावेज़, दवाइयां और टीके के साथ आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेंगी।

ऐतिहासिक संदर्भ: अक्टूबर क्यों खतरनाक है?

बंगाल की खाड़ी में अक्टूबर महीना बाढ़ का सबसे खतरनाक महीना होता है। ये मौसम जुलाई-अगस्त के मानसून के बाद आता है, जब समुद्र का पानी अभी भी गर्म होता है। जब ठंडी हवाएं गर्म समुद्र के ऊपर से गुजरती हैं, तो वहां तूफान का जन्म होता है। 2025 का साइक्लोन मोंथा, इस सीजन का पांचवां नामित चक्रवात है—इससे पहले रेमल, अस्ना, डेना और फिरिंगा आए थे। भारतीय मौसम विभाग की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में बनने वाले चक्रवातों की संख्या नवंबर के बाद सबसे अधिक होती है। ये नहीं कह सकते कि साइक्लोन मोंथा अभूतपूर्व है, लेकिन ये एक बहुत ही सामान्य और खतरनाक पैटर्न का हिस्सा है।

अगले कदम: क्या होगा जब तूफान लैंडफॉल करेगा?

लैंडफॉल के बाद, साइक्लोन मोंथा 29 अक्टूबर की रात 12 बजे तक एक गहरी अवसाद में बदल जाएगा। लेकिन इसका खतरा खत्म नहीं होगा। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के आंतरिक इलाकों में अभी भी भारी बारिश का खतरा बना रहेगा। नदियां फैल सकती हैं, बाढ़ के रिस्क के कारण बहुत सारे गांव अभी भी अकेले रह सकते हैं। अगले 72 घंटों में आपातकालीन आपूर्ति, स्वास्थ्य सुविधाएं और संचार की व्यवस्था ही असली परीक्षा होगी। अभी तक, राज्य और केंद्र की टीमें बहुत तैयार लग रही हैं। लेकिन इंसानी जीवन की गति को रोकने के लिए जो फैसले लिए गए हैं—वो अभी भी एक बड़ा सवाल है। क्या हम इतनी बड़ी आपदाओं के लिए हमेशा तैयार रह सकते हैं? या हमें इस तरह के तूफानों के लिए बेहतर योजना बनाने की जरूरत है?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइक्लोन मोंथा कितने लोगों को प्रभावित करेगा?

आंध्र प्रदेश सरकार के अनुसार, लगभग 40 लाख लोग तूफान के खतरे वाले क्षेत्रों में रहते हैं। इनमें से 70,000 लोगों को पहले ही बचाया जा चुका है। शेष लोग अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं, जिनके लिए आपातकालीन आवास, खाना और चिकित्सा सुविधाएं तैयार की गई हैं।

काकिनाडा क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

काकिनाडा एक प्रमुख बंदरगाह है जो सालाना 1.5 करोड़ मेट्रिक टन का कार्गो हैंडल करता है। इसका ज्योग्राफिकल स्थान बंगाल की खाड़ी के पूर्वी तट पर है, जिससे यह साइक्लोन के सीधे रास्ते में आ जाता है। यहां की बुनियादी ढांचा बहुत ज्यादा भारी बारिश और लहरों के लिए तैयार नहीं है।

लाल चेतावनी का मतलब क्या है?

भारत की चार स्तरीय चेतावनी प्रणाली में लाल सबसे खतरनाक है। इसका मतलब है कि तूफान निकटतम 24-48 घंटों में भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके तहत स्कूल बंद, बिजली काटना और आपातकालीन बचाव शुरू हो जाते हैं।

मछुआरे और रेलवे क्यों प्रभावित हुए?

मछुआरे बंगाल की खाड़ी में नौकाएं नहीं भेज सकते, क्योंकि तूफान के बीच समुद्र बहुत खतरनाक हो जाता है। रेलवे ने 47 ट्रेनें रद्द कीं क्योंकि पटरियां बाढ़ में डूब सकती हैं या बिजली के तार गिर सकते हैं। ये निर्णय जानबूझकर लिए गए हैं—सुरक्षा के लिए।

क्या यह तूफान पिछले साल के तूफानों से बेहतर तैयारी का संकेत है?

हां। पिछले वर्षों में तूफानों के बाद बचाव की देरी हुई थी। इस बार, 70,000 लोगों का बचाव तूफान से 48 घंटे पहले पूरा हो गया है। यह एक बड़ी सुधार है। लेकिन अभी भी गांवों में संचार और आपूर्ति की कमी बनी हुई है—जिसे अभी भी सुधारने की जरूरत है।

अगले 72 घंटों में क्या देखना चाहिए?

लैंडफॉल के बाद, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बाढ़ का खतरा बना रहेगा। लोगों को शिविरों में रहने के लिए खाना, पानी और दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए। साथ ही, बिजली और संचार की व्यवस्था फिर से शुरू होनी चाहिए। इन सबके लिए अगले 72 घंटे फैसले लेने का समय है।

लेखक

अभिराज सिन्धानिया

अभिराज सिन्धानिया

मेरा नाम अभिराज सिन्धानिया है। मैं मीडिया और समाचार विषय पर विशेषज्ञता रखता हूं। सोशल मीडिया और मीडिया के बारे में लेखन करना मेरी प्राथमिकता है। मैं समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने और लोगों के विचार और मतलब समझने में विशेष रुचि रखता हूं। मेरी लेखन शैली में मैं विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और स्पष्टता का उचित मिश्रण बनाने की कोशिश करता हूं।

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