नव॰ 24, 2025, के द्वारा प्रकाशित किया गया: अभिराज सिन्धानिया

भारत ने ग्रेचुइटी योग्यता की अवधि 5 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दी, 21 नवंबर 2025 से लागू

21 नवंबर 2025 की आधी रात को, भारत के करोड़ों श्रमिकों की जिंदगी बदल गई। भारत सरकार ने श्रम कोड के तहत ग्रेचुइटी की न्यूनतम अवधि 5 वर्ष से घटाकर केवल 1 वर्ष कर दी। यह बदलाव सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं — यह एक ऐतिहासिक रूपांतरण है, जिसने दशकों पुरानी नियमों को तोड़ दिया और अनौपचारिक क्षेत्र के लाखों श्रमिकों को उनके योगदान का न्याय दिया।

क्या बदला? ग्रेचुइटी का नया नियम

पहले, कोई भी कर्मचारी जो 5 साल से कम समय तक काम करता था, उसे ग्रेचुइटी नहीं मिलती थी। अगर कोई व्यक्ति 4 साल 11 महीने तक काम करके नौकरी छोड़ देता था, तो उसका सारा परिश्रम बर्बाद हो जाता था। अब, एक वर्ष के बाद ही ग्रेचुइटी का हक़ बन जाता है। गणना का सूत्र वही है: (अंतिम वेतन × वर्षों की संख्या × 15/26)। लेकिन अब यह गणना उन लोगों के लिए भी लागू होती है जो कभी-कभी नौकरी बदलते थे — आईटी, रिटेल, होटल और निर्माण के क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों युवाओं के लिए।

उदाहरण के लिए, एक कर्मचारी जिसका अंतिम वेतन ₹30,000 है और वह एक साल काम कर चुका है, अब ₹17,308 की ग्रेचुइटी पाएगा। पहले वह शून्य पाता। अगर वह 5 साल काम करता, तो अब ₹86,538 मिलता है — जो कि पहले भी मिलता था, लेकिन अब उसका अधिकार अधिक न्यायसंगत है।

कौन शामिल है? सभी श्रमिक, चाहे वे स्थायी हों या अस्थायी

यह नया नियम केवल स्थायी कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है। BDO India LLP ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि अब फिक्स्ड-टर्म श्रमिक, गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स भी इस लाभ के अधिकारी हैं। यह एक बड़ा बदलाव है — जिसमें डिलीवरी बाइकर, ऑटो चालक, फ्रीलांसर और अनौपचारिक क्षेत्र के करोड़ों लोग शामिल हो गए हैं।

अब इन श्रमिकों के लिए भी एक नया सुरक्षा ढांचा बना है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अब अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% (अधिकतम 5%) गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड में जमा करना होगा। यह फंड आधार-लिंक्ड होगा, ताकि कोई भी श्रमिक अपनी नौकरी बदलते समय अपने लाभों को आसानी से ले जा सके।

वेतन की परिभाषा में बड़ा बदलाव

ग्रेचुइटी की राशि केवल बेसिक वेतन और डीए पर निर्भर नहीं करती। अब, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने घोषणा की है कि वेतन की गणना में कुल वेतन का 50% (या बाद में निर्धारित प्रतिशत) शामिल किया जाएगा। इसका मतलब है कि अगर कोई कर्मचारी को ₹50,000 मिलते हैं, तो उसके ग्रेचुइटी की गणना ₹75,000 (बेसिक + डीए + 50%) पर होगी।

यह बदलाव उन कंपनियों के लिए एक चुनौती भी है जो पहले से ही वेतन को कम दिखाकर ग्रेचुइटी भुगतान कम कर रही थीं। अब वे इसे छिपा नहीं सकतीं।

अधिकतम सीमा और सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष लाभ

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ग्रेचुइटी की अधिकतम सीमा ₹1 करोड़ है। लेकिन केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए यह सीमा ₹2.5 करोड़ तक बढ़ा दी गई है — जो डीए के 50% होने के बाद 2024 में घोषित की गई थी। यह अंतर निश्चित रूप से विवाद का विषय बन सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि निजी क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति वंचित है। वह अब अपने एक साल के काम का पूरा लाभ पा रहा है।

क्यों यह बदलाव इतना महत्वपूर्ण है?

क्यों यह बदलाव इतना महत्वपूर्ण है?

भारत के 50 करोड़ श्रमिकों में से 90% अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से बहुत से लोग एक कंपनी में 5 साल तक नहीं रह पाते — नौकरी बदलते हैं, शहर बदलते हैं, या बस बेहतर वेतन के लिए जाते हैं। अब उनका योगदान निरर्थक नहीं रहा।

यह सुधार न केवल श्रमिकों के लिए है, बल्कि कंपनियों के लिए भी। अब वे अपने कर्मचारियों को बांधे रखने के लिए ग्रेचुइटी का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्हें वास्तविक वेतन, बेहतर काम के वातावरण और विकास के अवसरों पर ध्यान देना होगा।

क्या अब सब कुछ आसान हो गया?

नहीं। अभी भी कई चुनौतियां हैं। छोटे व्यवसाय, खासकर रिटेल और होटल जैसे क्षेत्रों में, जहां अक्सर बहुत कम लोग काम करते हैं, वहां यह नियम लागू करना मुश्किल हो सकता है। अधिकांश छोटे उद्यमी अभी भी इस बदलाव के बारे में अनजान हैं।

और फिर वह बड़ा सवाल — क्या यह नियम वास्तव में लागू होगा? क्या निजी कंपनियां अपने लाभ को बढ़ाने के लिए वेतन की गणना छिपाने का प्रयास नहीं करेंगी? यह सवाल अभी भी जवाब का इंतजार कर रहा है।

अगले कदम: निगरानी और अपडेट

श्रम मंत्रालय ने घोषणा की है कि अगले 12 महीने में एक डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाएगा, जिसमें ऑनलाइन ग्रेचुइटी भुगतान का रिकॉर्ड अपलोड किया जाएगा। यह एक बड़ा कदम है — जिससे श्रमिकों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सकेगा और अनुपालन की जांच की जा सकेगी।

यह सुधार 2017 में शुरू हुआ था, जब पहला वेतन कोड पेश किया गया। छह साल की प्रक्रिया, बहुत सारे बैठकें, और अंततः आज — एक ऐसा दिन जब लाखों लोगों का जीवन बदल गया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या अभी भी 5 साल का काम करना जरूरी है?

नहीं, 21 नवंबर 2025 के बाद से ग्रेचुइटी के लिए केवल 1 वर्ष की सेवा पर्याप्त है। यह नियम सभी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू होता है, जिनकी नौकरी 10 या अधिक कर्मचारियों वाली संस्था में है।

गिग वर्कर्स और फ्रीलांसर्स को भी ग्रेचुइटी मिलेगी?

हां, अगर वे किसी प्लेटफॉर्म के साथ लगातार 12 महीने तक काम करते हैं, तो वे ग्रेचुइटी के अधिकारी हैं। प्लेटफॉर्म को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% उनके लिए फंड में जमा करना होगा। यह भारत में डिजिटल श्रमिकों के लिए एक ऐतिहासिक पहल है।

ग्रेचुइटी की राशि कैसे निकाली जाती है?

सूत्र है: (अंतिम वेतन × सेवा के वर्ष × 15/26)। अब अंतिम वेतन में बेसिक, डीए और कुल वेतन का 50% शामिल होगा। उदाहरण के लिए, ₹40,000 वेतन वाले कर्मचारी के लिए 2 साल की सेवा पर ₹46,154 मिलेगा।

क्या निजी कंपनियां इसे छिपा सकती हैं?

अब नहीं। श्रम मंत्रालय एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू कर रहा है, जिसमें सभी ग्रेचुइटी भुगतान का ऑनलाइन रिकॉर्ड होगा। अगर कंपनी भुगतान नहीं करती, तो उसे जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

क्या इस बदलाव से बेरोजगारी बढ़ेगी?

नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नौकरियां स्थिर होंगी। अब कंपनियों को अपने कर्मचारियों को बांधे रखने के लिए ग्रेचुइटी का इस्तेमाल नहीं करना होगा — उन्हें बेहतर वेतन और काम के माहौल की ओर ध्यान देना होगा।

क्या यह नियम ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगा?

हां, यह नियम भारत के हर उस स्थान पर लागू होता है जहां 10 या अधिक श्रमिक काम करते हैं — चाहे वह शहर हो या गांव। यह खेती के बाहर के कारखानों, रिसाइक्लिंग इकाइयों और छोटे उद्यमों को भी शामिल करता है।

लेखक

अभिराज सिन्धानिया

अभिराज सिन्धानिया

मेरा नाम अभिराज सिन्धानिया है। मैं मीडिया और समाचार विषय पर विशेषज्ञता रखता हूं। सोशल मीडिया और मीडिया के बारे में लेखन करना मेरी प्राथमिकता है। मैं समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने और लोगों के विचार और मतलब समझने में विशेष रुचि रखता हूं। मेरी लेखन शैली में मैं विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और स्पष्टता का उचित मिश्रण बनाने की कोशिश करता हूं।

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